फ़िल्म: संजू (2018)
संगीतकार: विक्रम मोन्ट्रोसे
गीतकार: शेखर अस्तित्व
गायक/गायिका: सुखविंदर सिंह, श्रेया घोषाल
पिघला दे ज़ंजीरें
बना उनकी शमशीरें
कर हर मैदान फ़तेह ओ बंदेया
कर हर मैदान फ़तेह
घायल परिंदा है तू, दिखला दे ज़िन्दा है तू
बाक़ी है तुझमें हौसला
तेरे जुनूं के आगे, अम्बर पनाहें मांगे
कर डाले तू जो फैसला
रूठी तकदीरें तो क्या, टूटी शमशीरें तो क्या
टूटी शमशीरों से ही हो
कर हर मैदान फ़तेह, कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया
हर मैदान फ़तेह
इन गर्दिशों के बादलों पे चढ़ के
वक़्त का गिरेबां पकड़ के
पूछना है जीत का पता, जीत का पता
इन मुट्ठियों में चांद तारे भर के
आसमां की हद से गुज़र के
हो जा तू भीड़ से जुदा, भीड़ से जुदा
कहने को ज़र्रा है तू
लोहे का छर्रा है तू
टूटी शमशीरों से ही…
तेरी कोशिशें ही कामयाब होंगी
जब तेरी ये ज़िद आग होगी
फूंक देंगी नाउमीदियां, नाउमीदियां
तेरे पीछे-पीछे रास्ते ये चल के
बाहों के निशानों में ढल के
ढूंढ लेंगे अपना आशियां, अपना आशियां
लम्हों से आंख मिला के
रख दे जी जान लड़ा के
टूटी शमशीरों से ही…