फिल्मः घरौंदा (1977)
गायक/गायिकाः भूंपिंदर, रूना लैला
संगीतकारः जयदेव
गीतकारः ग़ुलज़ार
कलाकारः अमोल पालेकर, ज़रीना बहाव
एक दीवाना शहर में
एक दीवाना नहीं, एक दीवानी भी
दो दीवाने शहर में, रात में और दोपहर में
आब-ओ-दाना ढूँढते हैं एक आशियाना ढूँढते हैं
दो दीवाने शहर में, रात में और दोपहर में
आब-ओ-दाना ढूँढते हैं एक आशियाना ढूँढते हैं
इन भूलभुल{}इया गलियों में, अपना भी कोई घर होगा
अम्बर पे खुलेगी खिड़की या, खिड़की पे खुला अम्बर होगा
इन भूलभुल{}इया गलियों में, अपना भी कोई घर होगा
अम्बर पे खुलेगी खिड़की या, खिड़की पे खुला अम्बर होगा
असमानी रंग की आँखों में
असमानी या आसमानी?
असमानी रंग की आँखों में
बसने का बहाना ढूंढते हैं, ढूंढते हैं
आबोदाना ढूंढते हैं एक आशियाना ढूंढते हैं
जब तारे ज़मीं पर चलते हैं
तारे, और ज़मीं पर?
ऑफ़ कोर्स…
जब तारे ज़मीं पर चलते हैं
आकाश ज़मीं हो जाता है
उस रात नहीं फिर घर जाता, वो चांद यहीं सो जाता है
जब तारे ज़मीं पर चलते हैं
आकाश ज़मीं हो जाता है
उस रात नहीं फिर घर जाता, वो चांद यहीं सो जाता है
पल भर के लिये, पल भर के लिये
पल भर के लिये इन आँखों में हम एक ज़माना ढूंढते हैं, ढूंढते हैं
आबोदाना ढूंढते हैं एक आशियाना ढूंढते हैं